लेखनी कहानी -18-Mar-2023
अपनो के दर्द को में अपना बना लेता हूं
छोटी छोटी बातों को में दिल से लगा लेता हूं
नही गीला मुझे कोई मुझे कोई चाहे गाली देले
मेरे अपनो के बारे में गलत सुनकर गुस्सा आता है
और में उसी गुस्से को अपने ऊपर हावी कर लेता हूं
में अक्षर बढ़ो की लड़ाई में
हिस्सा ले लेता हूं
में अकसर खुद के पैर पे कुल्हाड़ी मार लेता हूं
हूं नादान अकल से जरा भी नही समझ मुझे
और इसी नासमझी में अक्सर नासमझी कर लेता हूं
_mr_writer_lucky
नरसिंह हैरान जौनपुरी
19-Mar-2023 06:55 PM
Nice 👍🏼
Reply
सीताराम साहू 'निर्मल'
19-Mar-2023 05:43 PM
👏👌
Reply
Radhika
19-Mar-2023 07:13 AM
Nice but अक्षर नहीं अक्सर बड़ों की लडाई मे....
Reply
Mr writer lucky
11-May-2023 10:32 AM
Ji jarur wo thoda typing mistake ho gaya
Reply